“भारत और उसके विरोधाभास”
यह पुस्तक 2014 से पहले के आंकड़ों के माध्यम से भारतीय शासन व्यवस्था की
स्थायी खामियों की विवेचना है, क्योंकि यह एक दृष्टि है। 2014 से अब तक आंकड़ों में थोड़े बदलाव आये हैं पर जिस दृष्टि की
अपेक्षा आज है उसे ये पुस्तक तब तक प्रासंगिक बनाये रखेगी जब तक हम उस तरह से
देखना शुरू न कर दें।
भारत के विकास में लगातार
जिन बहसों और मुद्दों को राजनीति से लेकर मीडिया तक के गलियारे में दोहराया जाता
है। किस प्रकार से वह तमाम मुद्दे एक बेईमान और अर्थलिप्सा में डूबे हुए वर्ग की
प्रतिध्वनि है इसका उत्तर यह पुस्तक देती है।
भारत के अभावग्रस्त
नागरिकों के हक़ और कम अभावग्रस्त जनता का अपने लिए सरकारी फायदों को मोड़ा जाना ही
भारतीय शासन का स्थायी चरित्र हो गया है, इसके तमाम उदाहरण यह पुस्तक हमारे सामने
रखती है। वंचितों के किस मांग और किस समस्या को भारतीय मध्यमवर्गीय अधिकार क्षेत्र
ने अपना माना है और क्यों माना है इसके पीछे के सभी पहलुओं पर यह पुस्तक एक सटीक
टिप्पणी है।
पेट्रोलियम अनुदान, खाद
अनुदान, आभूषण निर्माण पर अनुदान, बिजली पर अनुदान यह सब किस प्रकार से न्यायसंगत
लगते हुए भी एक अन्याय पूर्ण वितरण का खेल है इस पर सोचने और इस तथ्य को समझने के
लिए आपको यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।
साथ ही भारत के किन
राज्यों में स्थिति कैसी है इसका तुलनातमक चित्रण भी हमें यहाँ मिलता है। इस
पुस्तक ने एक और तथ्य उजागर किया कि कैसे जिन राज्यों में पारम्परिक तौर से बीजेपी
या कांग्रेस का शासन रहा उनके नागरिक सुविधाओं की स्थिति तमिलनाडु केरल और हिमाचल
से किस प्रकार निम्नतम है।
भारत किन स्थितियों में
अपने पड़ोसियों से पिछड़ रहा है इसका ताना बाना भी यह पुस्तक हमारे सामने रखती है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर
गर्व करने के साथ ही किन स्थतियों की चिंता हमें करनी चाहिए, क्यों एक राष्ट्र के
रूप में हमारी आर्थिक प्रबंधन की स्थिति नित बिगड़ती जा रही है? जिन विरोध
प्रदर्शनों को हम लोकतंत्र की आवाज समझ रहे हैं वह कैसे वर्ग विभाजन से उपजी
स्वार्थी आवाज है इस पर यह पुस्तक एक नागरिक को सचेत करती है।
हमें किन मांगों का समर्थन करना चाहिए इस पर हम अपनी
भूमिका कैसे तय करें? इसके लिए इस पुस्तक का पढ़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। यह पुस्तक
हिंदी भाषी लोगों को निश्चित तौर पर पढ़नी चाहिए इससे उनकी न केवल समझ विकसित होगी अपितु
हिंदी पट्टी किस राजनैतिक भ्रम में जी रही है इस पर भी सबका ध्यान जायेगा।
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