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Showing posts from 2020

इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी खुला विश्विद्यालय

यह अनुमान है कि २०२१ तक भाषा रूपांतरण की वैश्विक मांग, इस क्षेत्र के पेशेवर सेवा क्षेत्र का बाजार 560 लाख रु के बराबर या उससे अधिक हो जाएगा।  वैश्विक बाजार में प्रवेश करने के लिए अनुवाद एक महत्वपूर्ण साधन है। वेबसाईट, अलग अलग तरह के अनुबंधों के दस्तावेज, बाजार से सम्बंधित सामग्री, भिन्न डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को प्रयोग करने वाले व्यक्ति सभी के लिए अनुवाद ही एकमात्र विकल्प है कि वह नए क्षेत्रों से और नए बाजार से जुड़ें।     अनुवाद को केवल अनुवाद या दो भाषाओं का परिवर्तन समझेंगे तो यह बहुत कठिन लगेगा, लेकिन इसे अन्य विज्ञान की तरह विज्ञान समझेंगे तो यह सरल होगा। वैश्विक संदर्भ में योरोपीय संघ और भिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इस विषय पर काम और शोध के क्षेत्र को विस्तारित किया है। भारतीय संदर्भ में अनुवाद परिषद और भाषा वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग इस क्षेत्र में कार्यरत्त हैं। कुछ बिंदु जिन पर कई तरह की भ्रांतियां हैं उसी के संदर्भ में मेरा यह लेख है आशा है इससे एक नया संवाद धरातल हिंदी भाषियों के बीच तैयार होगा।  अनुवादकों को मातृभाषी होना चाहिए  ब्रांड की वैश्विक सफलता के लिए  स्थानीय बाजा

भारत में राष्ट्र भाषा से सम्बंधित बहस! राष्ट्रभाषा की आशा हिंदी के बिंदी पर ही टिकी है!

यह लेख भारतीय संविधान के तहत राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर बहस और सामाजिक बदलाव लाने में इसके महत्व का विश्लेषण करने के लिए है। इसमें राजभाषाओं के विवाद और बहस से अर्थ  निकालते हुए हल निकालने के प्रयासों पर रोशनी डाली गई है ।   भारत में भाषाओं के मामले में समृद्ध रहा है , दूरदराज के क्षेत्रों द्वारा बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा का संविधान के अनुच्छेद 29 और आठवीं अनुसूची से सम्मानित करने का प्रयास किया गया है। "इतिहास दर्शाता है कि, अनादि काल से, भारत एक बहुभाषी देश रहा है, प्रत्येक भाषा का एक निश्चित क्षेत्र है जिसमें संदर्भित भाषा का स्थान सर्वोच्च है , लेकिन इन क्षेत्रों में से कोई भी वास्तव में एकभाषी राज्य या रियासत का हिस्सा नहीं रहा है।"   मोटे तौर पर, भारतीय भाषाओं के चार प्रमुख समूह हैं : 1.                  हिन्द -आर्यन: संस्कृत, हिंदी, मराठी, मैथिलि, बंगाली, उड़िया, असमिया, कश्मीरी, नेपाली, कोंकणी, पंजाबी और उर्दू। 2.                  द्रविड़: तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और टुल्लू। 3.                  मंगोलियन : मणिपुरी, त्रिपुरा, गारो और