जटिल परिस्थितियों में हम अक्सर अपना संतुलन खो देते हैं| हमारे सामने जो भी स्थिति हो, हम उसे बिना सोचे-समझे पूर्वाग्रह से देखने लगते हैं| या यूँ कहूँ कि बौद्धिकता का त्याग कर किसी निर्णय पर पहुँच जाते हैं| जब बात भारत की हो, उसमें भी मुस्लिम की हो या पकिस्तान की हो, तब तो कोई और सोच आती ही नहीं| मध्यप्रदेश और राजस्थान में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाए जाने के जुर्म में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया| बाद में मध्यप्रदेश के 15 आरोपियों को छोड़ दिया गया| अपने देश की हार का जश्न मनाना दुखद या अनुचित है या हो सकता है, पर अपराध बिल्कुल नहीं और राजद्रोह तो किसी कीमत पर नहीं| जब ओवल, इंग्लैंड में भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक वहां पर भारत की जीत का जश्न मनाते हैं, तो क्या वे हमारे लिए या ब्रिटेन के लिए राजद्रोही होते हैं? नहीं! हमारे लिए वे देशप्रेमी और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत नागरिक होते हैं| उनका संवैधानिक राष्ट्र उन्हें इस बात के लिए दण्डित नहीं करता और न ही तार्किक रूप से ऐसा कोई भी लोकतान्त्रिक-संवैधानिक राष्ट्र कर सकता है | अब हम अपनी बात करते हैं| हमारे मन-म
आओ चाँद के किरदार को अपनाते हैं, दूसरों की रोशनी में अपने दाग दिखाते हैं|