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Showing posts from March, 2020

कोरोना से धर्म की बातें

पूरी दुनिया कोरोना से बचाव और संघर्ष में है। हमें अपने इस नये शत्रु से संवाद करना चाहिए! ये बहुत सी ऐसी बातें समझा रहा है जिसे यदि हमने नहीं समझा तो ये फिर आएगा हमें जतलाने की “बॉस यू आर नोट द बॉस” तुम हिन्दू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, अमेरिकी हो चीनी हो तुम अन्तरिक्ष मापी हो, तुम ईश्वर के जनक हो पर तुम बॉस नहीं हो!! विज्ञान की परिभाषा के अनुसार कोरोना एक अदना सा प्रोटीन अणु है जो शरीर में आकर जैविक परिवर्तन से सक्रिय हो जाता है। पर हमें विज्ञान से क्या हम तो अल्लाह की कयामत और ईसा का शाप ही मानेगें। जब पूरी दुनिया की सत्ताएं पहली बार मन्दिर मस्जिद की सीमाओं को सही समझ चुकि हैं, जिस समय परमार्थ के लिए नैतिकता ही काफी है किसी धर्म का दंड नहीं ऐसे में सोशल मीडिया पर मुर्खता की सभी हदें पार करती हुई न जाने कैसी कैसी बातें आपको देखने को मिल जायेंगी। कुछ लोग कहेंगे ऐसे लोग हर दौर में होते हैं! बस यही समझना है हमें कि हमें हर दौर से आगे बढ़ के सोचना होगा। कोरोना ने हमें हमारी हैसियत याद दिलाई है। हमें हमेशा यह याद रखने के लिए कहा है कि जब जीवन आपसे शुरू नहीं हुआ तो आप पर ही खत्म कैसे ह

तालाबंदी से नाकेबंदी तक सहयोग से सवाल तक

अभी हम सब घर पर बैठे-बैठे तरह-तरह के भावों से भरे हुए हैं। भय, क्रोध, चिंता अनिश्चित्ता के माहौल में हम सरकार के सहयोग और सरकार के खिलाफ़ होने के तौर पर फिर बंट रहे हैं। कुछ लोग मोदी के फैसले लेने के समय और योजना का गुणगान कर रहे हैं कुछ मीन मेख निकाल कर योजना और समय की आलोचना कर रहे हैं। एक बात जिस पर हम सब सहमत हैं वो ये कि हम सब सामान्य स्थिति में नहीं हैं और इस आसामन्य स्थिति में हमें एक दूसरे के सहयोग की जरुरत है। मजदूर वर्ग की त्रासदी के प्रति सरकार को तालाबंदी करने से पहले एक बार सोचना चाहिए था? हमारा आर्थिक स्वभाव जब असंगठित क्षेत्र पर ही आधारित है, जब आपके पास इसकी पूरी सूचना है की हमारे अर्थतंत्र में दैनिक तौर से कमाई कर खाने वाले लोगों की हिस्सेदारी ज्यादा है!! जब आपको पता है कि आपने ही वादा किया है कि २०२२ तक आप सबको घर देंगे? तो ऐसे में तालाबंदी लगाने के प्रयोजन के पीछे के मनोविज्ञान पर सवाल बनता है! और ये सवाल यकीन मानिये देश हित के खिलाफ नहीं है! गलती कहाँ हो रही है? एक राष्ट्र के तौर पर हम परिसंघीय व्यवस्था में काम करते हैं, जैसे हमारा मीडिया मोडिया हो गया

एक भारत श्रेष्ठ भारत और ‘रामायण’ ‘महाभारत’ का भारत।

भारत के भौगोलिक विस्तार का परिचय कक्षा 10 तक करा दिया जाता है। भारत के सांस्कृतिक विस्तार का परिचय कराए जाने का सरकारी प्रयास अधूरे मन से किया जाता रहा है। भारत के भौगोलिक और सांस्कृतिक आयामों को दर्शाने का स्वर्णिम अवसर भारत सरकार रामायण और महाभारत दिखा कर खो रही है। भारत के संविधान के बनने की प्रक्रिया और उसके बहस का हुबहू नाट्य रूपांतरण लोकसभा और राज्यसभा टीवी के पास है। भारत के प्रशासनिक बंटवारों के इतिहास और वर्तमान को लेकर न जाने कितनी सारी रोचक जानकारियों से लबरेज सामग्री हमारे प्रसार भारती के पास है। अरब सागर में स्थित लोगों को मुख्य भूमि का और मुख्य भूमि के लोगों को उन द्वीप समूहों के जनजीवन से परिचित कराने वाले कर्यक्रमों के प्रसारण को आसानी से अभी प्रोत्साहित कर लोगों को देश को जानने समझने का माहौल बनाया जा सकता है। बंगाल की खाड़ी में आबाद 36 भारतीय द्वीपों का परिचय हम सब घर बैठे पा सकते हैं सामूहिक तौर से सचेत होकर सयास प्रयास से ऐसा कर हम अपने बीच की मानसिक दूरियां मिटा सकते हैं। भिन्न भिन्न राज्यों की जनजातियों से परिचय कराता हुआ हर डिजिटल नाट्य और तथ्यात्मक क