पूरी दुनिया कोरोना से बचाव और संघर्ष में है। हमें अपने इस नये शत्रु से संवाद करना चाहिए! ये बहुत सी ऐसी बातें समझा रहा है जिसे यदि हमने नहीं समझा तो ये फिर आएगा हमें जतलाने की “बॉस यू आर नोट द बॉस” तुम हिन्दू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, अमेरिकी हो चीनी हो तुम अन्तरिक्ष मापी हो, तुम ईश्वर के जनक हो पर तुम बॉस नहीं हो!! विज्ञान की परिभाषा के अनुसार कोरोना एक अदना सा प्रोटीन अणु है जो शरीर में आकर जैविक परिवर्तन से सक्रिय हो जाता है। पर हमें विज्ञान से क्या हम तो अल्लाह की कयामत और ईसा का शाप ही मानेगें। जब पूरी दुनिया की सत्ताएं पहली बार मन्दिर मस्जिद की सीमाओं को सही समझ चुकि हैं, जिस समय परमार्थ के लिए नैतिकता ही काफी है किसी धर्म का दंड नहीं ऐसे में सोशल मीडिया पर मुर्खता की सभी हदें पार करती हुई न जाने कैसी कैसी बातें आपको देखने को मिल जायेंगी। कुछ लोग कहेंगे ऐसे लोग हर दौर में होते हैं! बस यही समझना है हमें कि हमें हर दौर से आगे बढ़ के सोचना होगा। कोरोना ने हमें हमारी हैसियत याद दिलाई है। हमें हमेशा यह याद रखने के लिए कहा है कि जब जीवन आपसे शुरू नहीं हुआ तो आप पर ही खत्म कैसे ह
आओ चाँद के किरदार को अपनाते हैं, दूसरों की रोशनी में अपने दाग दिखाते हैं|