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Showing posts from August, 2018

गाय के दौर में बकरी की कथा

एक आई.टी एकाउंटेंट, एक ड्राईवर और एक रिटेल मैनेजर के बीच क्या समानता हो सकती है? जवाब है बकरी! कर्नाटक के कुंथूर में ज्यों हीं हम 'विस्तारा फ़र्म' में घुसे बकरियों के लींडी की बास ने हमारा स्वागत किया । साथ ही स्वागत के लिए रखे गए मुधाल कुत्तों का अंतर्नाद और कई सौ बकरियों की मैं- मैं ने उस बास का साथ दिया । फार्म के अंदर बकरियों को लिंग और आकार अनुसार वर्गीकृत किया गया था, सभी अपने लकड़ी के स्टैंड पर मस्त खड़े हो हमें देख रहे थे ।  बड़े नर बकरे तो लगभग हमारे कन्धों तक आ रहे  थे । वे अपने बाड़े में धक्का मुक्की कर रहे थे, उनके मुलायम भूरे कान उनके बड़े चेहरे के आस पास फड़फरा रहे  थे । हमारा इंसानी स्वागत करते हुए वहां हमें एक ग्लास बकरी का ताज़ा दूध दिया गया, जो अब भी हल्का गर्म और झाग से भरपूर था जिसमें हल्की सी बकरीया गंध थी । इसका स्वाद गाय के दूध सा नहीं था लेकिन इसमें एक अतिरिक्त धुआंनि स्वाद था,  (ये  धुआंनि स्वाद वो बेहतर समझेंगे जिन्होंने गाँव में हुए भोज में बनी सब्जी चखी हो जिसमें इंधन के तौर पर जलाई जा रही लकड़ी के धुएं का स्वाद आ जाता है)   कृष्ण कुमार (A.N) ने अपना पूरा फ़