कुछ महीनो में इधर प्रकाश की दाल भी गलने लगी थी पर बाल सुलभ हृदय जब किशोर के जटिल धडकनों में तब्दील होती है तो साथ होती हैं बाल मन में घूसेड़ी गई लगभग हिंसात्मक तरीके से ठूसी गई बकवास, दायरों, स्तरों और न जाने कितने भेदों की सड़ी हुई मानसिकता खैर जो भी थी ये शब्द उन किशोर मन में नहीं थे वहां बस एक आशंका थी जिससे अभी दोनों को रूबरू होना था । दोनों की बात चीत में एक दिन अचानक ये बात आई ...... रजिया ने बातों बातों में पूछा तुम पंजाबी हो? उत्तर तो न ही होना था, अच्छा तुम हिन्दू हो तुम्हारे में तो बहुत से भगवान होते हैं न ! तुम लोग तो किसी को भी भगवान मान लेते हो । मानव ने कुछ क्षण सोचा और कहा नहीं नहीं ऐसा नहीं है वो बहुत अलग चीज है ऐसे समझ नहीं आएगा, वेद और पुराण से समझा जा सकता है जिसका जो मन होता है वैसे पूजा कर लेता है हमारे में इसीलिए बहुत सी जातियां होती हैं । तुम्हारे में होती हैं क्या जातियां? इस बार सवाल प्रकाश का था.... नहीं जातियां समझी नहीं..... अरे मतलब जैसे सिलाई करने वाला दर्जी, बाल काटने वाला नाई, पूजा पाठ कराने वाला ब्राहम्ण ऐसे.... यार अब ऐसे तो नहीं पता पर ये सार
आओ चाँद के किरदार को अपनाते हैं, दूसरों की रोशनी में अपने दाग दिखाते हैं|