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मन और शिक्षा


वर्तमान जीवन शैली में हम सभी को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है उन्हीं में से एक है बेहतर स्मरण क्षमता कई शोधों से जो प्रमुख बातें निकल कर आई हैं उसके आधार पर मैं आपके लिए मानसिक क्षमता बढ़ाने उसे तंदुरुस्त रखने के 10 उपाय लाया हूँ . 
1. ध्यान- अधिकांश मनोवैज्ञानिकों और चिकत्सकों की सबसे पहली सलाह यही है कि रोज 15 से 20 मिनट का ध्यान लगाने का अभ्यास आपकी एकाग्रता और बुद्धि ग्रहण क्षमता में इजाफ़ा करेगा. मन जितना शांत होगा बाहरी अशांति से आप उतना ही कम प्रभावित होंगे. यदि ध्यान लगाना संभव न हो पाए तो अपने पारम्परिक प्रार्थना प्रक्रिया में शामिल होने या व्यक्तिगत तौर से प्रार्थना करने का तरीका भी अपना सकते हैं.  यह आपको आंतरिक स्थिरता देगा|
2. संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं में अपनी भागीदारी बढ़ायें
बुद्धि को तीव्र रखने के लिए इसके त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को मांझना (पोलिश) करना जरूरी है. इसके लिए किसी एक श्रृंखला मे जा रहे निर्णय को अचानक से बदलने की क्षमता आपके संज्ञान अर्थात आपके सजगता को मजबूत करती है. इसके लिए निर्धारित अभ्यासों में शतरंज खेलना, नई भाषा सीखना तथा गाड़ी ड्राइव करना, संगीत सुनते समय अपने आँखों को बंद कर ध्वनि के प्रत्येक विस्तार पर ध्यान देना उसे महसूस करना आदि है, आप अपने रूचि के अनुसार तमाम उपलब्ध विकल्पों में से सबका या किसी एक का चयन कर सकते हैं. इससे आपको अपने संज्ञान को बेहतर करने में सहायता मिलेगी|
3. स्वस्थ तन स्वस्थ मन
अपने यहाँ एक कहावत है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास होता है और इसे अब कई वैज्ञानिक शोधों ने  प्रमाणित भी किया है.  कसरत यानि कि शारीरिक व्यायाम आपके मष्तिष्क के सजगता वाले हिस्से को तंदुरुस्त करता है. इसका एक कारण तो ये हो सकता है कि इससे आपके   मष्तिष्क में न्यूरोट्रोफिक कारक (BDNF) की बढोतरी होती है, आसान भाषा में एक ऐसा प्रोटीन जो आपके सीखने की क्षमता को बढ़ाता है, आपकी यादाश्त को बेहतर करता है और आपके चिंतन यानि की सोचने विचार करने, विश्लेष्ण करने की क्षमता को बेहतर करता है उसके उत्पादन में वृद्धि होती है. इस प्रक्रिया से आपके पुराने तंत्रिकाएं (न्यूरोनस) जहाँ बेहतर ढंग से काम करते हैं वहीँ नए तंत्रिकाओं का विकास होता है. इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए आप किसी ऐसे इलाक़े में घूमने की योजना भी बना सकते हैं जहाँ के रास्ते आपको न पता हों इससे सजगता में बढ़ोतरी होगी शर्त ये है की आप गूगल मैप का प्रयोग न करें!!!
4. सुनने को आदत बनाएं
आप किसी भी काम में व्यस्त हों आपका शरीर उस काम को अंजाम देने के लिए मष्तिष्क से संवाद करता है, जिसके लिए वह रासायनिक संदेशकों मतलब हमारे तंत्रिकाओं से शरीर के अंग और मस्तिष्क के मध्य संवाद स्थापित करता है जिसे और सरलता से समझाऊं तो आपका मष्तिष्क आपके हाथ को उठने का संकेत करता है तब वह उठता है, जिसे रिस्पांड सिस्टम या प्रतिक्रिया देने की क्षमता कह सकते हैं इसे बेहतर करने के लिए आप निम्न अभ्यास कर सकते हैं -
·         बात चीत करते समय हड़बड़ी में मत रहिये.
·         अच्छे से गहरी साँस लीजिये, छोड़िये मन को बिलकुल शांत करके रखिये मतलब उस समय कुछ और मत सोचिये.
·         शब्दों को सुनते समय आप में किस शब्द को सुन कर क्या प्रतिक्रिया आती है इसे महसूस करिये. अपने सभी सेंसों(इन्द्रियों) को केवल सुनने के काम में लगा दीजिये.
·         आप ज्यों ही भावुक हों त्यों ही अपनी भावना को लिखने का प्रयास करें और उसे पढ़ के अंदाजा लगाएं क्या आप सच में वही लिख पाने में सफल हुए हैं जो आप महसूस कर रहे थे.
·         एक शांत स्थल की तलाश करें जहाँ आप, बिना इस भय के कि कोई सुनेगा तो क्या कहेगा अपनी आवाज को सुन सकें अपनी बातों को दोहरा सकें.  इसका अभ्यास आपके सम्वाद शैली को बेहतर करेगा.
5. मीठे को मीठी बेवफाई दें.
अगर आपके भोजन में सुक्रोज की मात्रा अधिक होती है तो यह आपके दिमागी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है, यह आपके इन्सुलिन नियमन को खराब करेगा जिससे आपको तनाव तथा चिडचिडापन हो सकता है. इसीलिए आपका पहला लक्ष्य अपने खान पान को इस तरह से संयमित करने का होना चाहिए कि आपके शरीर में इन्सुलिन का अनुकूल संतुलन बना रहे. इसके लिए मांस, मछली और बहुत सारी हरी सब्जियों के साथ सूखे मेवों को अपने खान पान में शामिल करना आपके लिए लाभदायक होगा.
6 कुछ नया करें
आप जब भी कुछ नया करते हैं, तो इससे आपके दिमाग की बत्ती जल उठती है मतलब इससे आपके मष्तिष्क में नए विचारों का एक सिलसिला शुरू होता है! आप एक निश्चित पध्दति में चलते रहते हैं. इससे आपके तंत्रिकाओं जिसे न्यूरान कहा जाता है उनके कार्यप्रणाली में एक सुस्ती आ जाती है. वो प्रतिक्रिया के उस स्तर को नहीं पाते जिसकी आपको ज़रूरत है इसीलिए हमेशा कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहिये. इससे आपकी प्रतिक्रिया देने के स्तर में सुधार होगा. इसके लिए आप बावर्चीपना कर सकते हैं, नए नए पकवानों के बारे में सोच सकते हैं. दिक्सूचक मतलब दिशा बताने वाली मशीन के बिना दिशाओं को जानने का अभ्यास कर सकते हैं.
7. कैलकुलेटर का प्रयोग न करें.
अपने विद्यालयी दिनों को याद करें जब हम अपने दिमाग के इस्तेमाल से ही बड़ी -बड़ी जमा घटा गुणा भाग किया करते थे, आज कल हम हर छोटी बड़ी साधारण से साधारण जमा घटा के लिए अपने स्मार्ट फ़ोनों के कैलकुलेटर पर निर्भर हो गए हैं. इन बाहरी उपकरणों को छोड़िये और अपने प्राकृतिक उपकरण की धार को तेज़ करिये.
8. अपने साथ समय बिताइए T.V और मोबाइल फ़ोनों के साथ नहीं.
आज कल की जीवन शैली में अक्सर हम सबके साथ होने के एहसास के लिए किसी के साथ नहीं होते. सड़क पर घर में कार्यालय में हमारे हाथ अक्सर हमारे फ़ोन पर होते हैं और हम किसी सोशल साईट पर बेतुकी स्क्रोलिंग में व्यस्त रहते हैं. फोन लैपटॉप को काम भर प्रयोग करें उस पर सार्थक और सकारात्मक चीजों के लिए समय दें. ऑनलाइन पढ़ें, अपनी तैयारी करें और जरूरी बातें होने के बाद उसे रख अपने से अलग रख दें. अगर आप T.V के भयंकर प्रसंशक हैं, तो उससे भी दूरी बनाएं.
9. नींद पूरी लें
ऊपर जो बात बताई है वो इसी अभ्यास का चरण है. आप स्मार्ट फोन और t.v के चक्कर में अपनी नींद के घंटों को कम कर देते हैं, जिसका सीधा असर आपके दिमाग पर पड़ता है. रात को कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेने की कोशिश करें. नींद का आपके दिमागी स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. सोने जाने से 30 मिनट पहले अपना फोन छोड़ दें उससे निकलने वाली नीली रोशनी की तरंगे आपके दिमाग को कन्फ्यूज करती हैं और दिन होने का एहसास देती हैं इसी तरह T.V भी यही करता है. अच्छी नींद आपको ऊर्जावान और सजग बनाये रखती है. इसलिए सोने से 1 घंटे पहले वो करें जो नीचे बताया जा रहा है.  
10. किताब पढ़ें
पढने से तनाव कम होता है, तनाव आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट करता है इसीलिए पढ़ने की आदत आपको उस नुकसान से बचाने के लिए ज़रूरी है. शोध में यह ज्ञात हुआ है कि आपकी कल्पना शीलता आपके मस्तिष्क को एक प्रकार से ट्रेनिंग देती है जिसमें पढ़ने की आदत सहायक भूमिका अदा करती है. रोज कुछ सार्थक पढ़ना आपके सोचने और काल्पना करने की क्षमता को  बेहतर करता है.


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